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न्यूमरोलाजी- :

न्य़ूमरोलाजी यानी अंक शास्त्र भी ज्योतिष विज्ञान की ही एक शाखा है, जो गणित पर आधारित है। इसे संख्या शास्त्र भी कहा जाता है। इसमें अंकों और ज्योतिष से मेल करके किसी व्यक्ति के जीवन के बारे में भविष्यवाणी की जाती है। जिस तरह से ज्योतिष में किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों व नक्षत्रों के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। ठीक उसी तरह अंक शास्त्र से भी व्यक्ति के जीवन में होने वाले उतार-चढ़ाव, उसका व्यक्तित्व, स्वभाव और अन्य स्थितियों का पता चलता है। दरअसल संख्याओं के अपने वाइब्रेशन (कंपन) होते हैं, जो व्यक्ति के जीवन पर अपना प्रभाव छोड़ते हैं। इसका प्रमुख कारण यह है कि 1 से लेकर 9 तक के प्रत्येक अंक किसी न किसी ग्रह से जुड़े हुए हैं। उदाहरण के तौर पर 1 अंक सूर्य का है, जबकि चंद्र का 2 है। इसी तरह गुरु का 3, राहु का 4, बुद्ध का 5, शुक्र का 6, केतु का 7, शनि का 8 और 9 का स्वामी मंगल है। किसी व्यक्ति के जन्म के समय किसी एक अंक अर्थात ग्रह का विशेष प्रभाव होता है और वही उसका स्वामी समझा जाता है। अंक शास्त्र में तीन तरह- मूलांक, भाग्यांक और नामांक से किसी व्यक्ति के जीवन के बारे पता लगाया जाता है। मूलांक जन्मतिथि के अंकों को क्रमवार जोड़ कर और भाग्यांक जन्म की तिथि, माह और वर्ष जोड़कर निकाला जाता है, जबकि नामांक व्यक्ति के नाम में शामिल अक्षरों को जोड़ कर निकलता है। भारत के प्राचीन ग्रंथों में इस शास्त्र का विवरण मौजूद है। मिस्र व अन्य देशों में इस विधा का चलन सदियों पुराना है। हमारे संस्थान में ज्योतिष के साथ-साथ अंक शास्त्र के जरिए भी लोगों की समस्याओं का समाधान निकाला जाता है।